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किरण वर्मा

Romance Tragedy Fantasy

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किरण वर्मा

Romance Tragedy Fantasy

बैरी सावन

बैरी सावन

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कोई कह दे 

बैरी सावन से

कि अबके 

मेरी दहलीज़ से

बिन बरसे ही 

गुजर जा,

वो अबके 

मेरे पास नहीं 

मेरे साथ नहीं 

ये बरसती बूँदें

चोट लगाएंगी 

मुझे पिछले 

सावन की 

याद दिलाएंगी

पल-पल हँसकर

मुझको उनकी 

दूरी का अहसास 

दिलाएंगी

की अब के

सावन मुझपर

चिंगारी-सी 

बरसाएगा

ठंडी-ठंडी

बूँदों के संग 

मेरे गुस्से की 

आग भड़कायेगा

तो कोई कह दे

बैरी सावन से

कि अबके

मेरी दहलीज़ से

बिन-बरसे ही 

गुज़र जा।



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