अब हमें और क्या चाहिए
अब हमें और क्या चाहिए
अब हमें और क्या चाहिए।
खैरियत की दुआ चाहिए।।
चमन दिल का ये मुरझा रहा।
बागवाँ आपसा चाहिए।।
सर रखूं जब तिरी गोद में।
जुल्फों की बस हवा चाहिए।।
न दौलत,न शौहरत, न रव।
प्यार को बस वफ़ा चाहिए।।
दिया है दिल यही सोच कर।
उम्रभर आसरा चाहिए।।
वो तो हर शै में मौजूद हैं।
कहते है कि पता चाहिए।।
मिल गया दिल-ए-'राना' तुम्हें।
फिर क्या इसके सिवा चाहिए।।

