ग़ज़ल- कहां खो गये
ग़ज़ल- कहां खो गये
तुम्हें देखकर फिदा हो गये।
तुम्हारे ख्यालों में ही खो गये।।
सरेआम छीना मेरा दिल तुम्हीं ने।
ये मिलते ही दो दिल जवां हो गये।।
अगर ग़ैर होता तो कोई ग़म नहीं।
जानकर अपने लूटे तो हम रो गये।।
थे धुंधले उजाले इशारा नहीं था।
चिराग़ां मोहब्बत के गुल हो गये।।
कैसी किस्मत थी उनको भी न पा सका।
उन्हें खो के 'राना' कहाँ खो गये।।