गांव से शहर का खबर
गांव से शहर का खबर
देखो, मेरा हाथ थामे चलना
तुम मुझे अपने पास ही रखना
मैं घर से पहली दफा निकली हूं
बेचैनी है और मुझे थोड़ा डर है
गांव का रास्ता पीछे छूट रहा है
आगे विशाल शहर खड़ा है
मैं कुछ पैसे साथ लाई हूं
तुम बेफिक्र रहो ,
बाबुल के नाम एक खत छोड़ आई हूं
तुम मुझे अपने साथ ही रखोगे ना
इसी आस में तुम्हारे साथ आई हूं
मेरे आंखों में आए आंसू,
इस बात का गवाह है
यकीनन मुझे तुमसे बेहद प्यार है
पर बाबा को भी मुझसे उतना ही प्यार होगा
उनकी आंखों में भी आंसू होंगे
उनकी नज़रें भी शर्म से झुकी होंगी
चलो, अब मुझे नहीं जाना शहर
वहां गांव में बाबा पर पड़ा होगा कहर
मैं अब वापस लौट जाना चाहती हूं
ये प्यार का सबूत ही काफी है।

