सच को मगर क़लम से तो लिक्खा करे कोई। सच को मगर क़लम से तो लिक्खा करे कोई।
वो काटकर सिर मेरा तलवार थमा देंगे तेरे हाथों में, और खूब तमाशा देखेंगे बैठ अपने गलियारों मे... वो काटकर सिर मेरा तलवार थमा देंगे तेरे हाथों में, और खूब तमाशा देखेंगे ...
फूल चुनते हैं जो हम भीड़ के उन बागों से..! फूल चुनते हैं जो हम भीड़ के उन बागों से..!
जबसे देख सुन रहा हूँ मैं, बस खुदा का नाम जपते हैं सब... जबसे देख सुन रहा हूँ मैं, बस खुदा का नाम जपते हैं सब...
जो धड़कन में, सांसों में रगों में एकसार था। जो धड़कन में, सांसों में रगों में एकसार था।
सबूत के बावजूद हम खामोश नहीं हैं सबूत के बावजूद हम खामोश नहीं हैं