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SHRADDHA SINGH

Abstract Romance

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SHRADDHA SINGH

Abstract Romance

जिस्मानी मोहब्बत

जिस्मानी मोहब्बत

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दुनिया के बाजार में नुमाईश लगाई जा रही है।

जनाब , यहां आत्मा बिकी जा रही है।

इंसान इंसान को दिल से नहीं जिस्म से देख रहा है।

जिस्मानी ताल्लुक़ात बड़े जा रहे है।


ताल्लुक अब दिल का नहीं जिस्म का हो गया है।

यहां इंसान इंसान नहीं हैवान हो गया है।

सच्ची श्रद्धांजलि देते हुए बताया किसी ने 

प्यार मोहब्बत इश्क है क्या यहां 


ये तो कब का भूल चुके है लोग

अंग से अंग लगा के बात करते है लोग

 बात तो छोड़ो,जज्बात तो समझते नहीं, 

अपनी अलग ही जिंदगी में गुम हुए हैं।

लगता है हम भी अभी तक सोए हुए हैं।


तम्मना प्यार की अधूरी रह जायेगी।

इश्क़ मोहब्बत से दूरी हो जायेगी।


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