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SHRADDHA SINGH

Romance

4  

SHRADDHA SINGH

Romance

मेरा ......कुछ तो था वो

मेरा ......कुछ तो था वो

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वो आज फिर नज़र आ गया।

आंखों के सामने अंधकार सा छा गया।

फिर याद आई उसकी बातें।

वो बीती हसीं गुजारी रातें।


बातों में एक नशा सा था उसकी।

कहने को अलग पर जो भी मिला हंसा था।

गुलमोहर सी उसकी खुशबू ।

बिखरे तो महक उठे वो जगह।


वहां आज भी जाती हूं वो जगह।

आज भी रोशन है और जिंदा है उसकी यादों से।

जैसे आज भी वो वहीं है, मेरी जिन्दगी में ना शामिल।


पर, वो इस दिल में आज भी इत्र की तरह महक रहा है।


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