बावरा मन
बावरा मन
वही रास्ते, वही मंज़िल
और वही दिन निकल रहे हैं
इन रिश्तों से दूर हट कर
मेरे पंख निकल रहे हैं
अब पहचान अपनी अलग बताती हूं
आंसू नहीं अब चुप स्वभाव दिखाती हूं
मन नहीं भागता
अब किसी की चाहत में
कोई बतलाए इस बावरे दिल को
सादगी अब ज्यादा पसंद आने लगी हैं।