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AVINASH KUMAR

Romance

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AVINASH KUMAR

Romance

चाँद उठे जिस चेहरे से

चाँद उठे जिस चेहरे से

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चाँद उठे जिस चेहरे से 

और ज़ुल्फ़ों में शब घुल जाए

ऐ काश घने इस कोहरे में 

वो आ कर मुझसे मिल जाए


वो लाये शबनम होंठों पर 

जब धूप ज़रा अलसाई हो 

वो अल्हड़ मस्त हँसी उसकी 

एक मौसम छू कर आई हो

जब सर्द हवा के झोंकें हों 

और कली ओस की खिल जाए 

ऐ काश घने इस कोहरे में 

वो आ कर मुझसे मिल जाए


वो अपना हाल ए दिल आ कर 

हौले से इस बार लिखे 

वो अपनी नाज़ुक उँगली से 

मेरे हाथों पर प्यार लिखे 

जब क़ैद मिले ख़ामोशी को 

और लफ्ज़ ज़ुबाँ पर खुल जाए 

ऐ काश घने इस कोहरे में 

वो आ कर मुझसे मिल जाए


अम्बर पर रंग हो काजल का 

और जब अँधेरा छा जाए 

जब नींद में न हो ख्वाब कोई 

पर ख्वाब में नींदें आ जाए 

जब नूर उड़े उसके रंग से 

और नज़रें मेरी धुल जाए 

ऐ काश घने इस कोहरे में 

बस वंदना अवि की हो जाए 

वो आकर मुझसे मिल जाए 


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