परिवार
परिवार
चार अक्षरों का ये छोटा शब्द,
जैसे घर को संभालते चार स्तंभ,
प्रेम, सत्य, विश्वास, समर्पण,
सुखी परिवार का दर्पण।
जहां बड़ो की डांट से,
न नाराज़ हो कोई,
वृद्धों के सत्कार को रहें हम तत्पर,
प्रेम की फसल जो घर में बोई,
खिल उठे घर आंगन।
जहां छोटों की बात को सुना हो जाता,
कभी प्यार कभी डांट से उन्हें समझता,
जहां मिल के हम हर पर्व मनाएं,
हर खुशी को सबमे बांटा जाता।
गम आए तो मिल के संभले,
गलती पे बड़े सही राह दिखाएं,
संस्कारों से हर बंधन सींचे,
एक सुंदर परिवार कहाए।