कितना आसान है
कितना आसान है
कितना आसान है
कोसना गलती के लिए
किसी दूसरे को
अपमानित करना
कितना आसान है।
कितना आसान है
दूसरे के प्रति धारणा बना लेना
कुछ ही क्षणों में
किसी पे निजी वार करना
चंद पलों में
किसी के हृदय के
सौ टुकड़े करना
कितना आसान है।
कितना आसान है
किसी की पोशाक से
उसका चरित्र भांप लेना
किसी के चेहरे से
उसे खूबसूरत और
बदसूरत करार देना
कितना आसान है।
कितना आसान है
अकेले अपने बच्चों का
पालन करने वाली महिला
के वैवाहिक जीवन की
कहानी निर्माण करना
उसे बदनाम करना
कितना आसान है।
कितना आसान है
नाकामयाब मुहब्बत का
दोषारोपण किसी
दूसरे पर करना
उसे धोखेबाज कहना
कितना आसान है।
कितना आसान है
किसी दूसरे की सत्य बात
को आसानी से झुटला देना
किसी को भरी महफ़िल में
बेज़्जत करवाना
कितना आसान है।
कितना मुश्किल है
किसी के चेहरे की मुस्कान
लौटाना
किसी की आंखों से
आंसू पोंछना
किसी की उम्मीद पर
खरे उतरना
कितना मुश्किल है।
कितना मुश्किल है
आसान को आसान करना
कितना मुश्किल है।
