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Navni Chauhan

Romance

4  

Navni Chauhan

Romance

दस्तक

दस्तक

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कावाक पड़ चुकी थीं,

दीवारें दिल की,

तुमने दस्तक दी तो,

बाहर आई।

बुझ से गए थे चिराग सारे,

हुआ रौशन बज़्म - ए अंजुम

जो तुम आए।


ख़ुरशीद जा छिपा बादलों में कहीं,

पंछी छोड़ चुके आशियां अपना,

तुम गयी तो हुआ बेज़ार घरौंदा,

अजीब ख़ामोशी का आलम छाया।


किवाड़ खटखटाए, लगा तुम आईं,

ये कैसे भरम उमड़ आए थे,

तेरी याद में न‌ जाने हमदम,

कितने रतजगे मनाए थे।


बरसों बाद जो लौटी तुम,

महक उठा फिर घर आंगन,

कली कली फिर खिल उठी,

चहक उठा है तन मन।


है ख्वाहिश फ़लक तक साथ चलें हम,

हाथों में हाथ डाले,

मेरी ज़िन्दगी में दस्तक देकर

हमसफ़र बना ले।


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