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Navni Chauhan

Others

4  

Navni Chauhan

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बचपन

बचपन

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कोई लौटाए नहीं मग़र, 

बचपन वापस लाना है, 

फ़िर परियों और जादू की कहानी 

में, 

पढ़कर खो जाना है। 


कभी उदासी में 

माँ की गोदी से 

लिपटकर, 

बेफ़िक्र 

रोना- चिल्लाना है। 

कभी खुशी में 

भाई -दोस्तों संग, 

मुस्कुराना-ठहाका लगाना है। 


कभी 

पापा संग घंटों बैठकर, 

बतियाना-गुनगुनाना है, 

कभी-कभी 

मस्खरी कर, 

उन्हें 

पीछे- पीछे दौड़ाना है। 


कुछ पल 

जिंदगी की 

उलझनों से दूर, 

उस बचपन संग बीताना हैं, 

जहां 

सपनों की दुनिया 

जीने का, 

सारा ताना- बाना है। 


कोई लौटाए नहीं 

मग़र, 

वो बचपन वापस लाना है।



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