माँ और वात्सल्य
माँ और वात्सल्य
माँ बनना क्या होता है?
संसार के सर्वोपरि सुख से आनंदित,
वात्सल्य की धाराएं
सीने में स्पंदित,
प्राण जब अपनी
संतान होता है,
ये माँ बनना होता है।
जब आशाओं को ढकने लगा,
लाल के सपनों का जाला,
उसकी हल्की चोट ने ,
हाय!
कोमल हृदय जला डाला।
उसे नज़रों के सामने देख ही,
बेफ़िक्र सा मन होता है,
ये माँ बनना होता है।
उसकी तुतलाती बोली जब,
घोले मन में मधुर महक,
घर द्वारे के कण- कण में
मैं सुनूँ तुम्हारी चहक- चहक,
उसके आँसू देख- देख जब,
कोमल जी रोता है,
ये माँ बनना होता है।
