पापा, मेरे पापा
पापा, मेरे पापा
चिलचिलाती धूप में
एहसास होता है,
हर पिता कितना खास होता है,
दिन भर अंगारों पर चलकर,
हर शाम कितना उल्लास होता है।
कभी शिकायत नहीं करता,
जूझता है अपने ख्यालों में,
सुबह से शाम भटकता,
ज़िंदगी की राहों में,
उनकी परेशानियों का
कभी एहसास नहीं होता है,
चेहरा जो उनका कभी उदास नहीं होता है,
हर पिता कितना खास होता है।
इंतज़ार में डूबी आँखों में चमक आती है,
पिता देख आँखों में रंगत आती है,
बेसब्री सी रहती है पूछने की हमेशा,
कैसे हो पापा? क्या लाये पताशा,
ख़ाली जेब का बच्चों को आभास नहीं होता है,
हर पिता कितना खास होता है।
चिलचिलाती धूप में
एहसास होता है,
हर पिता कितना खास होता है।
