नया इंसान
नया इंसान
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मेरी जिंदगी में हर दिन एक नया किरदार आता है
कुछ समय तक वो मुझे बहुत भाता है ...
मैं हंसती हूं संग उसके, वो मुझे हंसाता है
अपने दिल की हर बात मुझे बताता है,
मैं सुनती हूं उसे, वो मुझे समझता है ...
उसकी गलतियों को मैं नजरंदाज करती हूं,
उसकी बेपरवाहियों पर न कोई सवाल करती हूं,
वो मेरी पसंद की हर बात करता है ....
मैं उसकी पसंद पर ही बात करती हूं ...
वो मुझे समझने लगता है, मैं उसे जानने लगती हूं,
मैं उसके दिल में अपना एक घर बनाती हूं...
अपने दिमाग में उसके लिए मकान बनाती हूं,
इस तरह बनता है एक आशियाना अपना...
और फिर एक दिन.....
जाना पड़ता है, दो में किसी एक को दूर,
अपने मुकम्मल शहर में हमेशा के लिए,
दिल और दिमाग में बसा वो घर ,
हो जाता है खाली ... यादों के एक कोने
से भरा हुआ ।।