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Laxmi Tyagi

Romance Others

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Laxmi Tyagi

Romance Others

पलकें बिछाये बैठे हैं

पलकें बिछाये बैठे हैं

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तुम जब भी आना चाहो ! बेख़ौफ !


चली आना, हम ''पलकें बिछाए बैठे हैं। ''


कदम तुम्हारे, जिस जगह ,जहां-जहां पड़े,


उन राहों पर, हम फूल बिछाए बैठे हैं। 


करते रहे हम ,तमन्ना !तुम्हारी चाहत की,


आप हमें क्यों ? यूं ,आजमाने बैठे हैं।  


आई हो....... तुम !आज भी ख्वाबों में, 


हम अपनी मोहब्बत की तस्वीर बनाए बैठे हैं। 


तेरी डोली किसी और दर ना चली जाए ,


हम अपने हाथों में, अपना ये दिल संभाले बैठे हैं। 


इक दिन तुझे आना ही होगा ! दर पर मेरे ,


हम तेरे लिए ,न जाने ,कितने ख़्वाब सजाये बैठे हैं ? 


मेरी मोहब्बत की खातिर, आ जाओ !इस चौखट पर,


 तेरी राहों में हम ''पलकें बिछाए बैठे हैं''। 


           लड़की का जवाब !


आओगे ! जिस दिन तुम ! जीवन में मेरे, सच कहती हूं !


उस दिन के लिए हम भी, अपना दामन बिछाए बैठे हैं। 


मेरे ख्वाबों से उतरकर आओगे ,जिस दिन मेरे लिए ,


आंगन की बगिया में ,हम उस प्रेम की बगिया को सजाए बैठे हैं। 


हमारा दिल भी धड़कता है, आज भी तुम्हारे लिए ,


अपने' सितमगर ' से हम मोहब्बत की आस लगाए बैठे हैं। 


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