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Sudershan kumar sharma

Romance

4  

Sudershan kumar sharma

Romance

यादें

यादें

1 min
310


दोस्त मिलते ही पुराना, 

याद आ गया बचपन का जमाना, 

मुस्कराये एक दुसरे को देख कर,

बांट कर दुख दर्द एक दुसरे का,

अच्छा लगा नजराना। 

 

बिछुड़ चुके थे दोस्त बचपन से

झूठ के रिश्ते निभाना सब आ गया, 

प्यार के रिश्ते छोड़ कर, 

हार कर भी जीत जाना आ गया, 

सामने दिख रहा था सब झूठ है,

ना चाहते हुए भी सर हिलाना आ गया, 

सच है, निडर हो कर बताना आ गया। 


गुजार दिया सारा वक्त नराजगी में ही,

रूठे दिलों को भी मनाना अब आ गया। 

कौन सुनता है दुखों की दास्तां

दिल से सुदर्शन, समय कम है, सुनाना सब को आ गया। 


दूर हो गये हैं जिगर के दोस्त सब,

मोबाईल का जमाना। जब से आ गया। 

खत्म हो गये मिलने के अबसर भी, खत्म मेलों, 

त्यौहारों का हुआ जब से जमाना,

दोस्त मिलते ही महक गया वो चमन पुराना। 


मुद्दतों के बाद मिला जब अपना दोस्त,

वो दर्द भरा जमाना याद आ गया। 

गमों, टैंशनों, की भरी जिंदगी

गुजार रहे हैं सब, अपनों को छोड़ कर साथ बैगानों से

 निभाना जब से आ गया। 

बिछुड़ रहे हैं भाई बहन भी अब तो, धन दौलत से रिश्ता

निभाना जब से आ गया।


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