जुदाई
जुदाई
वो दोस्त जिगरी पुराने कहाँ खो गए,
वो पुराने सुहाने जमाने कहाँ खो गए।
इतनी लम्बी जुदाई क्यों हो गई,
चीज जो अपनी थी पराई हो कर क्यों खो गई।
वो प्यार वो दर्द कहाँ छुप गया,
अब नफरतों से दिल क्यों भर गया,
वो एकता वो नर्मी कहाँ खो गई,
हर चीज अपनी क्यों बैगानी हो गई।
वो काटों के साथ फूल कहाँ चले गए,
वो प्रेमियों के आशियाने कहाँ खो गए,
अपने भी बैगाने क्यों हो गए।
अब झूठा दिखावा क्यों चल रहा,
अपना ही अपनों से क्यों डर रहा है,
वो रिश्ते पुराने कहाँ खो गए,
दोस्त अपने थे जो क्यों बैगाने हो गए।
रह गई मीठी यादें वो सुदर्शन,
वो पल पल के वादे, इरादे कहाँ खो गए,
रख पाक अपने दिल को सदा,
ऩ सोच पुराने जमाने कहाँ खो गए।

