एहसास
एहसास
रिश्ता मेरा तुझसे है अजीब सा
ना प्यार है न कोई एहसाससा।
फिर भी दिल तेरे और न जाने क्यो खींचता हैं
अनजान होकर भी अपना जैसे लगता हैं।
पता नहीं क्या तुम भी ऐसा लगता हैं।
होकर भी हम साथ अनजान रहते हैं
जुबान होकर भी बेजुबान होते हैं
कभी कभी मेरे दिल को ऐसे न जाने क्यों लगता हैं।
वो तेरा पीछे मुड़कर मुझे देखना।
मुझे देखते ही वो हलका सा मुस्कराना।
मेरे नाम को उस अंदाज़ में कहना
क्या यही तेरा प्यार हैं।