ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
1 min
118
यूँ तो ज़िन्दगी मेरी है पर वक़्त मेरा नहीं है
सांसे मेरी हैं पर पल मेरे नहीं हैं
क्या मेरा हे क्या तेरा है
ज़िन्दगी तो बस एक भगवान के हाथ का खिलौना है
पल नहीं रोक सकते जी ने के लिए फिर से ज़िन्दगी
वक़्त की घड़ी ना किसी के लिए रुकी
ना किसी के के लिए रुके की
पल फिसलते जायेंगे रेत की तरह
ज़िन्दगी मेरी बस मेरी रहेगी