हमारे रियल हीरो
हमारे रियल हीरो


फिल्मो मे दिखाने ने वाले हिरो पर हम मर मिटते हें
विदेशी बॅटमॅन स्पाइडर मैन जैसे हम बना चाहते हैं
इस नकली भीड़भाड़ में हम असली हीरो को भूल रहे हैं
उनको नज़र अंदाज़ कर रहे हैं
ना वो कोई मेकअप ना कोई दिखावी एक्टिंग करते हैं
वास्तिविकता में शान से जीते हैं
धरती माँ की धुल का टिक्का माथे पर सजता हैं
देशभक्ति का जूनून सर पे झलक था हैं
नहीं होती उनकी कोई शूटिंग
वही होते हैं अपने चश्मदीद
नहीं होता कोई रिटेक
उनका तो एक बार में होता है सब टेक
नहीं बहता उनसे रंग मिलाया खून
असली गोली से बह जा ता हैं देश के लिए उनका असली वाला खून
दिन रात्र सरहद पर जांबाज़ हमारे खड़े हे तैयार
बिना लेके कोई अपना बॉडी गार्ड
तो रियल हीरो बने कौन?