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Vijay Kanaujiya

Romance

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Vijay Kanaujiya

Romance

दिलबर उसे तुम मान लो

दिलबर उसे तुम मान लो

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जब किसी की याद में

बेचैन मन होने लगे

सिसकियों की आहटों से

दिल कभी रोने लगे

प्रेम का फिर अंकुरण

होने लगा है जान लो

प्रेम की दस्तक शुरू है

तुम इसे पहचान लो।


आँख से नीदें हों गायब

करवटों में रात हो

हसरतों का ख़्वाब बुनकर

हर घड़ी तैयार हों

हो मिलन की बेकरारी

आँख से बरसात हो

हो गया है प्यार तुमको

बात मेरी मान लो।


मौन में भी प्रेम की

भाषा समझ आने लगे

न हो जब दीदार उनका

मन ये घबराने लगे

मीत से मनमीत जब

लगने लगें तो जान लो

हो गई है दिल्लगी

दिलबर उसे तुम मान लो।


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