STORYMIRROR

Vijay Kanaujiya

Romance

3  

Vijay Kanaujiya

Romance

दिलबर उसे तुम मान लो

दिलबर उसे तुम मान लो

1 min
261

जब किसी की याद में

बेचैन मन होने लगे

सिसकियों की आहटों से

दिल कभी रोने लगे

प्रेम का फिर अंकुरण

होने लगा है जान लो

प्रेम की दस्तक शुरू है

तुम इसे पहचान लो।


आँख से नीदें हों गायब

करवटों में रात हो

हसरतों का ख़्वाब बुनकर

हर घड़ी तैयार हों

हो मिलन की बेकरारी

आँख से बरसात हो

हो गया है प्यार तुमको

बात मेरी मान लो।


मौन में भी प्रेम की

भाषा समझ आने लगे

न हो जब दीदार उनका

मन ये घबराने लगे

मीत से मनमीत जब

लगने लगें तो जान लो

हो गई है दिल्लगी

दिलबर उसे तुम मान लो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance