आंखों में अब नींद नहीं
आंखों में अब नींद नहीं


चार दिनों से बंद हैं घर में
इस पल कोई साथ नहीं
कैसी ये विपदा आई है
अच्छे अब हालात नहीं..।।
भूल गए अब सारे सपने
अब तो बस जीवन बच जाए
कैद भी अब सहना ही होगा
कोई और उपचार नहीं..।।
कैसे गुजरेंगे ये दिन अब
खुद को भी मालूम नहीं
पल-पल बस डर का साया है
जीना अब आसान नहीं..।।
जीवन में अपनों की संगत
का महत्व अब जाना है
जब कोई हो साथ नहीं फिर
हंसना तब आसान नहीं..।।
जिस तकिए पर सिर रखकर
मैं सपने लेकर सोता था
आज वही तकिया है फिर भी
आंखों में अब नींद नहीं..।।
आंखों में अब नींद नहीं..।।