कर दो तुम मेरा उद्धार
कर दो तुम मेरा उद्धार
तुम मेरी रचना बन जाओ
बन जाऊँ मैं रचनाकार
सृजन सहज हो जाए मेरा
लिखना हो जाए साकार..।।
शब्द शिल्प में रसता दे दो
उसे अलंकृत कर दूँ मैं
मेरी कविता तुम बन जाओ
इतना बस कर दो उपकार..।।
छंद सोरठा दोहा लिख दूँ
बस मेरी उपमा बन जाओ
हो जाए फिर काव्य विभूषित
तुमसे है बस यही पुकार..।।
लेखन विधा मेरी बन जाओ
विधिवत हो जाए फिर कार्य
रूप रंग परिभाषित कर दूँ
आग्रह बस कर लो स्वीकार..।।
साधक मैं भी बन जाऊँ
साधना मेरी तुम बन जाओ
हो जाऊँ कृतज्ञ तुम्हारा
कर दो तुम मेरा उद्धार..।।
कर दो तुम मेरा उद्धार..।।