STORYMIRROR

VIVEK ROUSHAN

Abstract

3  

VIVEK ROUSHAN

Abstract

जैसे तुम गए

जैसे तुम गए

1 min
191

जैसे तुम गए वैसे कोई जाता है क्या 

जानेवाला लौट कर वापस आता है क्या


पराए तो पराए ठहरे उनसे क्या गिला

कोई अपना भी दिल दुखाता है क्या


शहर में लगी आग पानी बुझा जाता है

दिल में लगी आग पानी बुझाता है क्या


बात करने से ही तो बात बनती है जानाँ

बात न करने से सब ठीक हो जाता है क्या


तुम हर बात पे दूर जाने की बात करते हो

दूर चले जाने से कोई याद नहीं आता है क्या


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract