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डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम'

Abstract

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डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम'

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खुशी मेरा नाम

खुशी मेरा नाम

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 कांधे पे लटकाए

नन्हा बबुआ

चोली में धरके

अपना बटुवा

खिलखिल करती 

मैं तो चली

खुशी मेरा नाम

गम में पली


हरियाले खेतों में

लहराते पांव 

शहर को चली मैं

छूटा है गांव

सेवा करूं नित

अमीरों के हित

पानी से खा लूं

गुड़ की डली


बीबी जी कहती 

तू है ही भली

नंगे बदन चहके

बालक हमारा 

दे दोगे गर कुछ

होगा गुजारा 

उमर से ही पहले

उमर है ढली


दूध मलाई

मिसरी मिठाई

भाती है बचुवा को

मेरी तवाई

पुरवा ने चली

खिली मन की कली

खुशी मेरा नाम

मैं मनचली


गरीब हूं तन से

मन से अमीर

दर्द है साथी

जिंदा जमीर

समय के साथ

बदले तकदीर।


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