धरती मां
धरती मां
रोज सवेरे-
आ जाओ,
पग धर, मुझपर-
छा जाओ.
कोमलता से-
संग चलूंगी,
इन कदमों को -
रे! चूमूंगी.
मैं वसुधा हूँ-
तेरा परिवार,
तुझपर वारूं-
अतुलित प्यार.
ममतामयी-
सभी की मां हूँ-
पंचतत्व से बनी-
जवां हूँ.
हवा हिंडोले-
खूब झुलाएं,
हरियाली का-
मन मुस्काए.
रवि,शशि नित-
रोशन होते,
तारे नभ में-
सपने बोते.
पर्वत,सरिता-
थिर,चंचल से,
जीव-जंतु सब-
हैं संबल से.
सबको लेकर-
प्यार लुटाऊं,
हरदम तुझपर-
बलिहारी जाऊँ.
मैं तेरी मां-
धूसर धरती,
अब न रहूँगी-
बंजर,परती।