अमृत महोत्सव
अमृत महोत्सव
आजादी का पचहत्तरवां साल-
मन खुशियों से मालामाल,
अच्छे दिन आ पहुंचे हैं अब-
उन्नत भारत मां का भाल।
खेल, स्वास्थ्य, चिकित्सा, सेना-
सब क्षेत्रों में रहते अव्वल,
मेरी पुण्य मातृभूमि पर-
नारी मचा रही अब हलचल।
शैशव में कंजक कहलाती-
देवी सा सम्मान है पाती,
प्रगति-पथ पर चली जा रही-
बेटी जग की शान कहाती।
गांव, शहर सब बदल गए हैं -
घूम रहा विकास का पहिया,
शिक्षा, बिजनेस और बिजली ने,
झंडे गाड़ दिये हैं भैया।
स्वच्छ सार्वजनिक स्थल सारे-
सड़कें, बाग-बगीचे सुंदर,
परिवेश परिवर्धित सारा-
सुख-संपदा देश के अंदर।
पर्यावरण संवारो अपना-
प्यारे पशु-पक्षी लो पाल,
कीट-पतंगे घूमें निश-दिन-
मधुरिम हों दिन, मोहक साल
