जी रही हूँ मैं?
जी रही हूँ मैं?
ऐ हवाओं, ऐ फिजाओं
मुझे, मेरे होने का
एहसास दिलाओ
साँस ले रही हूँ मैं,
अपने जिंदा होने का
यकीन नहीं
क्या ज़िंदगी के ख़िलाफ़
यह जुर्म संगीन नहीं
एक पल में जी लेना
एक जन्म
हर धड़कन में
संगीत की धुन
हर स्पंदन में
पायल की रुनझुन
रेशमी आंचल का
हौले से सरसराना
निगाहों से निगाहों में
सब कह जाना
बिन पंखों के
आकाश नापना
पूर्णता का एहसास
सब, ख्वाबों की बात हो गया
रीते लम्हे,रीता जीवन
जीवन तो बस, वनवास हो गया
सौंधी यादों के उपवन
फिर महकाओ
ऐ हवाओं, ऐ फिज़ाओं
मुझे मेरे होने का
एहसास दिलाओ