STORYMIRROR

Rajni Chhabra

Drama

4.3  

Rajni Chhabra

Drama

मन के बंद दरवाज़े

मन के बंद दरवाज़े

1 min
313


इस से पहले कि

अधूरेपन की कसक

तुम्हें कर दे चूर चूर

ताउम्र हँसने से

कर दे मज़बूर


खोल दो

मन के बंद दरवाज़े

और घुटन को कर दो दूर


दर्द तो हर दिल में बसता है

दर्द से सबका पुश्तैनी रिश्ता है

कुछ अपनी कहो ,कुछ उनकी सुनो

दर्द को सब मिलजुल कर सहो


इस से पहले कि दर्द

रिसते रिसते, बन जाये नासूर

लगाकर हमदर्दी का मरहम

करो दर्द को कोसों दूर


बाँट लो, सुख दुःख को

मन को, जीवन को

स्नेहामृत से कर लो भरपूर

खोल दो मन के बंद दरवाजे

और घुटन को कर लो दूर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama