मन के बंद दरवाज़े
मन के बंद दरवाज़े
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
इस से पहले कि
अधूरेपन की कसक
तुम्हें कर दे चूर चूर
ताउम्र हँसने से
कर दे मज़बूर
खोल दो
मन के बंद दरवाज़े
और घुटन को कर दो दूर
दर्द तो हर दिल में बसता है
दर्द से सबका पुश्तैनी रिश्ता है
कुछ अपनी कहो ,कुछ उनकी सुनो
दर्द को सब मिलजुल कर सहो
इस से पहले कि दर्द
रिसते रिसते, बन जाये नासूर
लगाकर हमदर्दी का मरहम
करो दर्द को कोसों दूर
बाँट लो, सुख दुःख को
मन को, जीवन को
स्नेहामृत से कर लो भरपूर
खोल दो मन के बंद दरवाजे
और घुटन को कर लो दूर।