STORYMIRROR

Rajni Chhabra

Romance

4  

Rajni Chhabra

Romance

बात सिर्फ इतनी सी

बात सिर्फ इतनी सी

1 min
346

                                          


बगिया की                             

शुष्क घास पर

तन्हा बैठी वह

और सामने

आँखों मैं तैरते

फूलों से नाज़ुक

किल्कारते बच्चे


बगिया का वीरान कोना

अजनबी का

वहाँ से गुजरना

आँखों का चार होना


संस्कारों की जकड़न 

पहराबंद

उनमुक्त धड़कन

अचकचाए

शब्द

झुकी पलकें

जुबान खामोश

रह गया कुछ

अनसुना,अनकहा


लम्हा वो बीत गया

जीवन यूँ ही रीत गया


जान के भी

अनजान बन

कुछ

बिछुड़े ऐसा

न मिल पाये

कभी फिर

जंगल की

दो शाखों सा


आहत मन की बात

सिर्फ इतनी

तुमने पहले क्यों

न कहा


वह आदिकाल

से अकेली

वो अनंत काल

से उदास

और सामने

फूलों से नाज़ुक बच्चे

खेलते रहे


















Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance