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S Ram Verma

Romance

3  

S Ram Verma

Romance

सांसों के जखीरे !

सांसों के जखीरे !

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आसमां के सितारे मचल कर  

जिस पहर रात के हुस्न पर 

दस्तक दें !

निगोड़ी चांदनी जब लजा कर 

समंदर की बाँहों में समा कर 

सिमट जाए !


हवाओं की सर्द ओढ़नी जब 

आकर बिखरे दरख्तों के 

शानों पर!

उस पहर तुम चांदनी बन 

फलक की सीढ़ियों से नीचे 

उतर आना ! 


फिर चुपके से मेरी इन हथेलियों 

पर तुम वो नसीब लिख कर 

जाना!

जिस के सामीप्य की चाहत में 

मैंने चंद सांसों के जखीरे अपने  

जिस्म की तलहटी में छुपा 

रखे है !   


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