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Srishti Agrawal

Romance

3  

Srishti Agrawal

Romance

खफा

खफा

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खफा खफा सी ज़िंदगी में 

कुछ खफा तो तुम भी हो,

दूर करने आई शिकवा 

पर खफा सी थम गयी वो।


बादलों की गड़गड़ाहट 

आँधियों की चीख भी,

कह गयी एक राज़ मुझसे

कुछ खफा तो है ही वो।


सब खफा है आज मुझसे 

जाने किस दर जाऊं मैं,

कि तुमको, रब को और रूह को 

फिरसे मिलवा पाऊँ मैं। 


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