चल चित्र
चल चित्र
अपने प्यार का इज़हार करने के लिए
मैं तुझसे मिलने निकल गई थी
दिल थोड़ा बेचैन सा हो रहा था पर
दिमाग़ मे पूरी तैयारी चल रही थी,
डर लगता है अँधेरे से मुझे
इसलिए थिएटर मे जाते ही थोड़ा सहम गई थी
पर तुझसे मिलने की ख़ुशी मे हिम्मत जुटा के
अपनी उस कुर्सी तक चली गई थी,
अपना हाथ तेरे हाथ मे देके
काश दिल को सुकून दिला पाती
काश तेरे कांधे को सिरहाना बना के
अपने सर को आराम दिला पाती,
तेरी बाहों को अपनी बाहों मे समेट कर
काश अपने प्यार का तुझे एहसास करवा पाती
तेरे उन प्यार भरे लफ़्ज़ों को मैं
काश कभी अपने लिए सुन पाती,
न जाने क्यों उस दिन की ख़ुशी
पूरी होके भी अधूरी सी थी
तू बैठा तो मेरे इतने करीब था
ना जाने क्यों फिर भी दूरी सी थी,
चेहरे पे मुस्कान तो बड़ी सी थी लेकिन
दिल के आंसुओं को रोकना मुश्किल हो रहा था
तेरे इस पार मैं तेरी दोस्त बनके बैठी थी और
तेरे उस पार कोई और तेरा प्यार बनके बैठा था।

