धड़कता दिल
धड़कता दिल
सारी रात दिल ये धड़कता रहा
धक-धक धक-धक
तुझे याद बस ये करता रहा
पल-पल पल-पल।
तुझसे मिलने के बाद
चढ़ी ये खुमारी थी
नशे में डूब-डूब अँखियों ने
सारी रात गुजारी थी।
पहले प्यार का पहला सावन
अब मेरे द्वार पे आया था
तेरे - मेरे दिल को जोड़
कितनी बातें लाया था।
मैं बेचैन सी पलटती रही
करवटों को बार - बार
इस धड़कते दिल से निकले
तेरी चाहत का गुबार।
रोक पाना हो गया जब मुश्किल
मैने मूंद पलकें तेरा नाम लिया
इस धड़कते दिल से बोली
इसे धड़काने वाले का शुक्रिया।

