पुनः कोशिश
पुनः कोशिश
बंद दरवाजों को आओ, मिल खोल देते हैं
दीवारों में पड़ी धूल को ,मिल साफ़ कर देते हैं
आ रही रश्मिरथी को ,मिल रस्ता देते हैं
आओ हम - तुम मिल एक कोशिश कर देते हैं।।
मंजरे वक़्त को आज बदल देते हैं,
गिले शिकवे मिटा आओ कुछ पल जी लेते हैं
लम्हे जुदाई की तासीर बड़ी उग्र है
आओ साथ मिल इस तासीर को शीतल कर देते हैं।
कुछ बोले बिना ,सब समझा देते हैं,
दिले जज़्बातों को फिर तरोताजा होने देते हैं,
जाने जिंदगी कब तक साथ दे हमारा,
आओ तू तू , मैं मैं को दफना हम ,
खुली बांहों एक दूसरे का स्वागत करते हैं,
फिर से अपने रिश्ते की शुरुआत कर देते हैं।।

