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Rekha Verma

Abstract

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Rekha Verma

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नजरे करम

नजरे करम

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गीत


कब से खड़े हैं तेरी राहों में

आप तो नजर करम कर दे

कदमों में तेरे, दरख्वास्त कब से पड़ी है

अब तो बेरहम मंजूर कर दे

कब से खड़े हैं तेरी राहों में

आप तो नजर करम कर दे


कब तक यूं तड़पाएगी

रातों की नींद उड़ाएगी

उजड़ा हुआ है मेरा दिल का चमन

अब तो उसे गुलिस्ता कर दे

कब से खड़े हैं तेरी राहों में

आप तो नजर करम कर दे


सूरज की तपिश जलाती है

मेरे दिल में आग लगाती है

धवल चांदनी बनकर तुम

शीतल नेह की बौछार कर दे

कब से खड़े हैं तेरी राहों में

आप तो नजर करम कर दे



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