पिया का खत
पिया का खत
पिया जी का खत था बडा ही अलबेला
लिखा था उन्होंने मुझको पहला पहला
खत में कितनी ही अशुद्धियां थी
लेकिन उनके मेरे प्रेम की शुद्धिया थी
उस खत मे बहुत खूबियां थी
यह हमारे प्रेम की नज़दीकियां थी
खत में लिखा था सुनो तुम अपना ध्यान रखना
मेरा खयालों में ख्याल रखना
खोई हुई गुमसुम सी मत रहना
सज सवरकर मेरा ख्वाबों में इस्तकबाल करना
तुम्हारा मुस्कुराता हुआ चेहरा देखकर मैं सुकून से जी लूंगा
परदेस में रहकर तुम्हारी याद में जहर जुदाई पी लूंगा
तुम क्या जानो तुम्हारी याद मुझे कितना तरसाती है
तुम्हारे विरह में यह अखियां
सावन भादो सी आंसू बहाती है
सुनो खत को मेरे संभाल कर रखना
जब मेरी याद आए तो
खत को पढ़कर मुझको अपने करीब पाना
जल्दी ही मैं लौट कर आऊंगा
तेरे हाथों की मेहंदी बनकर रच जाऊंगा
तुमको मुझसे कोई शिकायत नहीं रहेगी
तुम्हारे होठों पर हमेशा
मेरे प्यार की खिलखिलाहट रहेगी।