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Babita Jha

Abstract Inspirational

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Babita Jha

Abstract Inspirational

प्रातःकाल

प्रातःकाल

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प्रातःकाल की मधुर बेला में

सूरज ने ली अंगड़ाई

साथ में हवा के झोंके

चारों ओर बहाई

चिड़ियों की चहचहाहट से

इस वातावरण में नई उमंगें आई

कोयल की कूक, चिड़ियों की चहक से

जीवन में संचार समाई

लोगों का खिलखिलाना

हर ताल पर इठला ना

फिर से प्राणियों में

जीवंतता है आई

सभी शुरू हुए

जीवन की लालसा

चारों ओर हरियाली छाई

इसी उम्मीद भाव से 

आज यही धैर्यता है समाई



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