पियूष की धारा
पियूष की धारा


हिन्दी है पीयूष की धारा
जिसे जाने ये धरती सारा
साहित्य भविष्य को सहज बनाती
हिन्दी उसमें भाव जगाती
संस्कृति है सर्वोत्तम ज्ञान
हिन्दी उसमें भर दे ज्ञान
यह जीवन में रंग है भरता
जो अच्छाई की ओर उन्मुख है करता
देश के गौरव का भान
उन्नत भारत देश महान
चारों ओर बिगुल है बजा
राष्ट्र प्रेम का मनोभाव है जगा
साहित्य से मानव का विकास
आओ करें हम उसपर नाज
जहाँ यह अतीत की रेखा
चारों ओर परिवर्तन देखा
जन जन में आन्दोलन भरना
अपने सपनों को साकार है करना
जिसे माने ये धरती सारा
हिन्दी है पीयूष की धारा।