आकाश
आकाश
खुले जहान में ढूंढ रही
अपना एक आकाश
जहाँ थोड़ी देर ठहर सकूँ
मिले कहीं प्रकाश
समय के साथ चलना ही
है जीवन का सारांश
मगर समय भी ना रूका तो
कहाँ मिलेंगे ये स्वच्छद सांस
कभी तो बदलेंगे ये रूप
है यही विशवास
क्या मिलेगा इस धरती पर
सभी लगाए यह आस
बढते जाना रूकना नहीं
लेकर एक मिसाल
चाहे आए लाख मुसीबत
कभी तो मिलेगा खुला आकाश!