मैं हूँ जरिया खुशियों का...! मैं हूँ जरिया खुशियों का...!
जाने कौन मिटा गया था , मेरी ठुकराई हुई मंजिल के निशां ! जाने कौन मिटा गया था , मेरी ठुकराई हुई मंजिल के निशां !
सपनों को अपनी आंखों में ही सुला कर , कल के लिए रखे हैं अरमान छिपा कर! सपनों को अपनी आंखों में ही सुला कर , कल के लिए रखे हैं अरमान छिपा कर!
तू हमें क्या डराएगा, अब तो तू ही भाग जाएगा। तू हमें क्या डराएगा, अब तो तू ही भाग जाएगा।
मेनका खुद को यूँ ही भविष्य में देखना चाहती थी आंटी की तरह । मेनका खुद को यूँ ही भविष्य में देखना चाहती थी आंटी की तरह ।