ऐ दिल-ए-नादान, ऐ दिल-ए-नादान
ऐ दिल-ए-नादान, ऐ दिल-ए-नादान
ऐ दिल-ए-नादान, ऐ दिल-ए-नादान
आज क्यों बेबस सा है,
आज क्यों सहमा सा है,
उठ खड़ा हो कर प्रतिज्ञा
ऐ दिल-ए-नादान, ऐ दिल-ए-नादान
रख हौसला खुद पर बंदे
तूफान को भी चीर कर
खुद को तू दिखलाएगा
घर अंधेरा है तो क्या
फिर सवेरा होगा भी
पंछी कभी नहीं पूछते हैं
वीर कभी नहीं रुकते हैं
मंजिल सफर की दास्तान
ऐ दिल-ए-नादान, ऐ दिल-ए-नादान
आज तू केवल अकेला
कल कारवां भी आएगा
खुद इबारत खुद से तू
लिख कर तू दिखाएगा
जीत से हासिल नहीं सब
हार भी सिख लाएगा
मेहनत कर पसीना बहा
रुकना नहीं चलता ही जा
धैर्य तू रख ले ओ बंदे
तख्ते ओ ताज हासिल हो जाएगा
ऐ दिल-ए-नादान, ऐ दिल-ए-नादान
सफलता मैं चुनौती को स्वीकारो तुम
अब क्या कमी रह गई उसे सुधारो।