लक्ष्य-स्मरण
लक्ष्य-स्मरण
मुझसे है उम्मीद सभी को.
मैं हूँ ज़रिया खुशियों का !
होकर कामयाब अपने लक्ष्य में,
दुःख हरूँगा दुखियों का !
उन उम्मीदों की ललक,
मेरे मन में घर कर गयी !
सुप्त चंचल अंतर्मन को,
अपना लक्ष्य स्मरण करा गयी !
नहीं हटूंगा अपने पथ से,
आये चाहे भँवर विपत्तियों का !
मुझसे है उम्मीद सभी को,
मैं हूँ ज़रिया खुशियों का !
करना पड़ता है, संघर्ष सभी को,
जीवन की इन राहो मे !
नहीं बिना नीव के कोई,
मंजिल आज इन आसमानो में !
टाटा बिरला और अम्बानी,
इन सब की एक कहानी है !
दुखो के विकराल भँवर में,
छुपी होती एक खुशहाली है !
होकर कामयाब अपने लक्ष्य में,
अम्बार लाऊंगा हसीयों का !
मुझसे है उम्मीद सभी को,
मैं हूँ जरिया खुशियों का !
भूत भविष्य और वर्तमान सब.
मानव तेरे बस मे है !
लक्ष्य प्राप्त करने की तड़प.
हर एक के नस-नस में है !
नहीं मिलता मोती किसी को,
एक बार के गोते से !
कर-कर के संघर्ष समंदर से,
लाते है उसके सीने से !
रहोगे अटल लक्ष्य पर अगर तो,
छुओगे नभ बुलंदियों का !
मुझसे है उम्मीद सभी को,
मैं हूँ जरिया खुशियों का !