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Neeraj Kumar Shakyawal

Romance

5.0  

Neeraj Kumar Shakyawal

Romance

प्रेमराग

प्रेमराग

1 min
14.4K


बनाकर आशिक़ अपना तुमने

सीखा दी हमे आशिकी,

खोया तेरे प्यार में इस कदर

खबर नहीं मुझे अपने आप की !


तेरे दिल मे में हूँ या फिर

मेरे दिल मे तुम हो !

दिलों के इस दलदल मे में हूँ खोया

तुम भी कही पर गुम हो।


हूँ दूर तुझसे पर तेरे साथ गुजारे

वो पल बहुत याद आते है !

बेठ कर पेड़ों किनारे जब

तेरी जुल्फ़ों से खेला करते थे।


तेरी साँसों की ख़ुशबू जब

साँसों में घुल जाया करती थी !

शोर भी लगता था प्रेमगीत जब

चिड़ियाँ चहचाया करती थी।


और भी बातें है बताने को पर

रहने दो उनको राज़ की !

बनाकर आशिक़ अपना

तुमने सीखा दी हमे आशिकी।


मिलने की तड़फ अब

तुझसे ओर सही नहीं जाती !

दिल में है जो बाते अब वो

कलम से लिखी नहीं जाती।


हारकर दिल की बाज़ी मे

तेरा दीवाना हो गया !

धड़कता था दिल जो सीने में

आज वो भी बेगाना हो गया।


तेरे प्यार में पागल ये दिल

अब दूर और नहीं रह पायेगा !

दिलों की दूरियों का सिलसिला

अब और नही चल पायेगा।


मे हूँ प्रेमगीत उसका और

वो है धुन मेरे साज़ की !

बनाकर आशिक़ अपना

तुमने सीखा दी हमे आशिकी।


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