मुक्तक
मुक्तक
1-
मिलता नहीं किनारा माँझी यूँ ही बैठे रहने से।
मिलता नहीं सुकून कभी भी विचलित होते रहने से।
बिना कर्म के जग में हर इंसान विफल हो जाता है,
मिल जाती है मंजिल राही, हरदम चलते रहने से।
2-
जो कुछ जीवन में मिला मुझे उसको ही मैंने अपनाया।
जीवन क्या है ये मुझको संघर्षों ने ही बतलाया।
दुख ही देखा है ज्यादातर सुख की बेला है रही क्षणिक,
आगे तो उसको पाना है, जो हमें कभी न मिल पाया।
3-
दे दो मुझे सजा पर मेरी ख़ता बता दो।
मुझसे इस बेरुखी की वजह बता दो।
जहाँ छिपा हो प्यार बेहिसाब मेरे लिए,
मुझे अपने दिल के घर का पता बता दो।
4-
दिल नहीं जान पाया और ये तेरा हो गया।
कल तक मेरे पास था, आज अचानक खो गया।
रात भर तेरी याद में नींद नहीं आई मुझे,
सुबह तेरी तस्वीर को सीने पे रख के सो गया।