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अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित'

Abstract Inspirational

4.0  

अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित'

Abstract Inspirational

रे मन! यह संसार बेगाना

रे मन! यह संसार बेगाना

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रे मन! यह संसार बेगाना।

बेमतलब का आना-जाना।

रे मन!...........

ये जीवन है सूरज जैसा,

संध्या होते है ढल जाना।

बादल हैं ये दुःख के घेरे,

हवा चले इनको छट जाना।

माया-मोह है यह जग सारा,

क्षण भर का यह ताना-बाना।

धन-दौलत कुछ साथ न जाता

अंत समय जब हुआ रवाना।

रे मन! यह संसार बेगाना।


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