प्यार या आकर्षण
प्यार या आकर्षण
नैनों की खिड़की से दिल तक जाता है रास्ता
यदि आकर्षण ना हो तो प्यार से कैसा वास्ता
आकर्षण ही दो दिलों को नजदीक ले आता है
आकर्षण ना हो तो इस दिल को कौन भाता है
सुंदर चेहरा नशीली आंखों से यहां कौन बचा है
पतली कमर उन्नत वक्षस्थल से ही गदर मचा है
आकर्षण कब प्यार बन जाये पता नहीं चलता है
आकर्षण के बिना दिल में प्यार कहां पलता है
कच्ची उम्र में सुंदर बदन ही आकर्षण का बिन्दु है
मेरा कहना है कि आकर्षण ही प्यार का सिन्धु है।

