एक शाम
एक शाम
आँखों को लुभाती जिन्दगानी को सुनाती,
पृकृति को दिखाती जिन्दगानी होनी चाहिये।
पृकृति की हसी वादियो मे ढालती शाम,
उठते सूरज खिलखिलाते सवेरे की कहानी होनी चाहिये।
मेरे प्यार की मुस्कुराहट सी इन,
हसी वादियो मे मेरी जिन्दगानी होनी चाहिये।
उसके दिल मे ना सही उसकी यादो मे,
मेरी एक कहानी होनी चाहिये।
आपके प्यार से चेहरे पर खिल्खिलती
हुई हसी मे एक प्यारा सा सपनासजोने
की शाम होनी चाहिये।
उसके दिल मे ना सही उसकी यादो मे,
मेरी जिन्दगानी होनी चाहिये -
कहानी होनी चाहिये।।

